मध्यप्रदेश के मन्दिर

(1) चित्रगुप्त मंदिर, ग्राम कायथा, उज्जयिनी (अवन्तिका)यह चित्रगुप्त जी का मुख्य धाम है। यहा उनका दीर्घकालीन तपस्याकाल बीता। यह भगवान चित्रगुप्तजी की तपोभूमि के रुप में चिरकाल से प्रसिद्ध है। शहर से लगभग 5 कि.मी. दूरी पर कर्क रेखा पर स्थित, श्री महाकालेश्वर मंदिर के निकट, अंकापाल, उच्चयिनी में, कायथा नामक ग्राम में श्री चित्रगुप्त जीवा एक महत्वपूर्ण मंदिर है, जिसका जीर्णोद्वार सन् 1994 ई. में हुआ। यह बहुत बड़ा क्षेत्र है – जंगल में आश्रम-सा। इस मंदिर के शीर्ष पर एक प्रपात है। यहाँ के लिये यह प्रचलित है कि इसके चबूतरे पर श्री चित्रगुप्त जी ने स्वयं यज्ञ किया था। यहाँ एक विशाल सरोवर है, जिसके तट पर एक पावन-नीट-कुँआ अवस्थित है। इस मंदिर में काले पत्थर की चित्रगुप्त जी की मूर्ति है। जिसके अगल बगल दोनों रानियाँ विराजमान है तथा चित्रगुप्त के द्वादश पुत्रों के मूर्तिया शोभित हैं कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यहाँ विशाल मेला लगता है।

(2) चित्रगुप्त मंदिर, खजुराहोः श्री चित्रगुप्त जी का प्राचीनतम मंदिर खजुराहों में कन्दरिया महादेव के मन्दिर की श्रंखला में है। ये मंदिर-चन्देल राजाओं द्वारा बनयो गये जिनमें श्री चित्रगुप्त मंदिर (सूर्य-मंदिर) देवी जगदम्बा के मंदिर से थोड़ी दूर पर है। यह उŸार दिशा में अवस्थित है। प्रतिभा तो सूर्यदेव की विराजमान है किन्तु कहलाता है श्री चित्रगुप्त मंदिर। भारतीय शिल्प-कला नयादर्श का अनूठा उदाहरण है। यह मंदिर 75 फीट 9 इंच (75/9“) ऊँचा तथा 51फीट 91(51श् 91“) इंच चौड़ा है।

(3) चित्रगुप्त मंदिर, नरसिंहगढ़ (राजगढ़): इस मंदिर का निर्माण सन् 1972 ई में हुआ। मन्दिर में भगवान चित्रगुप्त की चतुर्मुखी साढ़े तीन फीट (3 1/2“) ऊँची खड़ी भव्य प्रतिमा स्थापित है। मंदिर निर्माण में चित्रांश महापरिवार के समस्त बन्धुओं का सहयोग प्राप्त हुआ। मुख्य सहयोग श्री सुधीरचन्द अदाबत (सक्सेना) का रहा, जो एडवोकेट है।

(4) चित्रगुप्त मंदिर, बड़ोनी, दतिया। इसका निर्माण सन् 1975 में हुआ। मंदिर में जयपुर से लाई गई खड़ी संगमरमर की श्री चित्रगुप्त जी की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। मंदिर निर्माण से चित्रांस स्व़ रामगोपाल वर्मा का प्रमुख योगदान रहा है।

श्री जोगेन्द्र सक्सेना, ‘कायस्थः पास्ट एण्ड प्रजेण्ट ’ में लिखते है कि खजुराहों के दिव्य भव्य मंदिरों का निर्माण धंगा देव (950-99 ए.डी.) द्वारा हुआ, जिनमें चित्रगुप्त मंदिर (साधरणताया आमतौर पर जिसे सूर्य मंदिर कहते हैं।) प्रकाश में आया है। और जोगेन्द्र सक्सेना की श्री आर.एल. सक्सेना, देहली के सीनियर आर्कीटेक्चर से जैसी बातचीत हुई है, तदानुसार वहां पर 12 फीट ऊँची, 11 मुखों वाली तथा चारभुजा धारी विशाल मूर्ति इस मंदिर के भतर है। श्री. आर. एल. सक्सेना कर विश्वास है कि यह प्रतिभा श्री चित्रगुप्त भी की है, जिनके भुख कायस्थ-कुलों का प्रतिनिधित्व करते हैं, एक कल सूरजध्वज विरुपित है, जो कि अब ब्राह्मणों में घुलमिल गये हैं। इस बारे में शोध की आवश्यकता है क्योंकि इस प्रतिभा का सूर्य मंदिर के भीतर अवस्थित होना श्री सक्सेना के विश्वास का समर्थन करता है अच्छा होता यदि उन्होंने इसका फोटोग्राफ ले लिया होता।

(5) चित्रगुप्त मंदिर, होलीपुरा, दातिया: सन् 1964 में निर्मित मंदिर में छतरपुर से लाई पीतल की प्रतिमा की प्रतिष्ठा व स्थापना प्रमुख योगदानी श्री अच्छेलाल जी श्रीवास्तव एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती हरकुँऊर श्रीवास्तव द्वारा हुई है।कोई भी मनौती मांगने पर काम बन जाता है।

(6) चित्रगुप्त मंदिर, सिवनी मंदिर में चित्रगुप्त जी डेढ़ फुट (1 1/2‘) की संगमरमर की अभराम संगमरमर के सिंहासन पर प्रतिमा विद्यमान है। इनके दाहिनी और सरस्वती जी व बाला जी तथा बायी और सूर्यदेव एवं गणेश जी की प्रतिमायें स्थापित है। मंदिर व्यवस्था आदि पर बहुचर्चित लेख से स्पष्ट है कि इस मंदिर में श्री चित्रगुप्त भगवान की स्थापना विक्रम सम्वत 1954 में हुई। बेबा हर प्रसाद ने उŸाम कीजे काजु मन्दिर में स्थापित किया चित्रगुप्त महाराज पूस बदी 10 संवत् 1954। कालान्तर में विक्रम पौषद बद तिथि, सम्वत 2000 में भगवान का संगमरमर निर्मित धवल सिंहासन तथा फर्श क निर्माण में क्रमशः चित्रांष दीनदयाल सक्सेना एवं चित्रांश रुपसिंह सक्सेना का उल्लेखनीय योगदान रहा।

(7) चित्रगुप्त मंदिर, आष्टा सिहोर: मंदिर संगमरमर निर्मित भगवान श्री चित्रगुप्त जी की मूर्ति 24 मई, 1985 को स्थापित हुई। अविराम पूजा चलती है।

(8) चित्रगुप्त मंदिर, लहारा, भिन्ड: चित्रांश बिहरीलाल सक्सेना (मोहर्रिर) ने मंदिर बनवाने के पश्चात स्थानीय कायस्थ समाज को हस्तान्तरित कर दिया। नियमित सेवा की जाती है।

(9) चित्रगप्त मंदिर, लालभाटी, चुंगी चौकी, जबलपुर: महर्षि महेश योगी चेतना विज्ञान संस्थान के सहयोग से 12 जून, 1981 को भगवान श्री चित्रगुप्त की संगमरमर की प्रमिा, जी.सी. एफ. एम्पलाइज कायस्थ सभा द्वारा निर्मित देवालय में प्रतिष्ठत है। इसमें नारी अमर सुहाग मांगती है।

(10) श्री सांई चित्रगुप्त धाम, बीना: 15 जुलाई, 1991 को कायस्थ समाज, बीना के सहयोग से प्राण-प्रतिष्ठा हुई) चार बार दर्शन होते है।

(11) चित्रगुप्त मंदिर ग्वालियर: हकीम देवाी प्रसाद राम प्यारी न्यास मंण्डल कीर्ति स्थल में चित्रांश कृष्ण बिहारी लाल श्रीवास्तव के प्रयासों से जयपुर में बनी प्रतिमा की प्रतिष्ठा अक्टूबर, 1987 में हुई। भवन व बोर्डिंग हाउस भी है।

(12) चत्रिगुप्त मंदिर भोपाल: चित्रगुप्त जी की चतुर्भुज खड़ी मूर्ति साथ में दोनों और धर्मपत्नियों की मूर्तिया।

(13) चित्रगुप्त मंदिर, छतरपुर: यह मंदिर 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है।

(14) चित्रगुप्त मंदिर, दामोह: मंदिर के साथ पाठशाला भी है।

(15) चित्रगुप्त मंदिर, ओरछा: श्री प्रतीतराम जी ने 1900 ई. में मंदिर श्री चित्रगुप्त का भव्य रुप में बनाया तथा अन्य भवनों के साथ तालाब भी बनवाया।

(16) चित्रगुप्त मंदिर, देवास: मंदिर में ही सभा मण्डल स्थित है।

(17) चित्रगुप्त मंदिर, रींवा: मंदिर के साथ पाठशाला भी है।

(18) चित्रगुप्त मंदिर, घार: यहां डा. श्री निगम के सहयोग से मंदिर भवन का निर्माण हुआ।

(19) चित्रगुप्त मंदिर, भोपाल: कायस्थों ने अनेकों मंदिरों, घाटों का निर्माण कराया, पर कालान्तर में सब हाथ से निकल गये, थोड़े ही हाथ में रहे। जेसे भंवरी, धरणीधर, काली, नक्की, तीन भवन स्थायी सम्पति बची। गिन्नोटी मोहल्ले में श्री चित्रगुप्त जी का मंदिर काली मंदिर में भव्य मूर्ति व अतिथि भवन, नर्मदा तट नेवरी बुधनी पर घाट व मंदिर जवाहर चौक 45 ग 44 मीटर भूखण्ड पर मंदिर निर्माण हुआ है।

(20) चित्रगुप्त मंदिर, बिदिशा: बलरामपुर मंे पूर्व शासक महाराज धमेन्द्र प्रतापसिंह जी द्वारा मंदिर उसमें कथा मण्डप भी बनवाया।

उपर्युक्त मंदिरों के अतिरिक्त मध्यप्रदेश में श्री चित्रगुप्त जी के मंदिर निम्नांकित स्थानों पर विद्यमान है-

(21)कोण्डागांव (22) मंदसौर (23) उबरा (24) मुरैना (25) चम्बाह (26) शिवपुरी (27) झिगरी (करनी) (28) कैदेली (नरसिंहपुर) (29) बिलहारी मादिया(नरसिंहपुर) (30) सिवनी (31) कटनी (32) केरली (33) परसिया (34) खुरई (35) शाहडोल (36) (37) कौलारस ग्वालियर (38) करी घाटी ग्वालियर (39) दोलतगंज (लशकर) (40) काढीघाटी जीवाजी गंज (ग्वालियर) (41) फूराताल (जबलपुर) (42) बाई का बगीचा (जबलपुर) (43) गुना (44) छतरपुर (45) छिंदवाड़ा (46) टीकमगढ़ (47) दामोह (48) रीवा (49) सागर (50) हरदा (51) हौशंगाबाद (52) धराझबुआ (53) इन्दौर (54) हमीरपुर (55) जालैन (56) पन्ना।