(1) चित्रगुप्त मंदिर, दरीबापान, जयपुर: विक्रम सम्वत 1999-2000 में बना कायस्थ जाति जयपुर के चन्दे से चित्रगुप्त जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा फाल्गुन शुक्ल पक्ष 9 वि.स. 2000 को हुई। पण्डित महासुख जी पुरोहित की धर्मपत्नी श्रीमती लक्ष्मी देवी पुरोहितानी को प्रदान किए हुए पुराने मंदिर के स्थान पर नया मंदिर बनवाया गया है। मुंशी साधेनारायण जी एडवोकेट, हाईकोर्ट, जयपुर ने 1700 रुपये दान देकर ठाकुर जी की मुर्तियां पदराकर प्रतिष्ठा कराई। मन्दिर का मेनहाल मय फर्श व किवाड़ मुक्कवील करवाया। श्री किशन बिहारीलाल जी पुत्र स्व. श्री मंुषी श्यामलाल जी, बी.ए. एल.एल.बी., फौजदार ने स्वर्गीय बाबू किशनलाल जी के धन से 600 रुपये दान देकर निज मंदिर में किंवाड़ बनवाया। समस्त् कायस्थ सक्सेना जाति ने 500 रुपये दान देकर मंदिर को आमतौर पर तामील हुए मरम्मत करवाई। इस तरह मंदिर बनवाने में कुल लागत 2700 रुपये लगे। यह जानकारी श्री खुशमिजाजीलाल माथुर को श्री अमरीश सक्सेना, सचिव कायस्थ चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रदान की गयी।
(2) चित्रगुप्त मंदिर, कायस्थों की बगीची, जयपुर विक्रम सम्वत 2052 आसाढ़ शुक्ल व गुरुवार को प्रतिष्ठा स्कूल प्रांगण में हुई। भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति की स्थापना शुक्रवार, आसाढ़, शुक्ल यथा 9, 1945 ई. को स्वर्गीय श्री राधामोहन (दौसा वाले) धर्म पत्नी स्व. श्री छुहन देवी, पुत्रिया स्व. श्रीमती किशोरी देवी एवं स्वत्र श्रीमती चन्द्रकान्ता देवी की स्म्ति में चार पुत्रों के सहयोग से हुई। द्वार के पास भगवान की प्रार्थना संगमरमर शिला पर लिखकर स्व. श्री दामोदरलाल (मालपुरा वाले) की स्मृति में श्री ए.पी. माथुर द्वारा भेंट की गई।
(3) चित्रगुप्त मंदिर, बापु नगर, जयपुर: सन् 1964 में ऐडहोक को मूर्ति साढ़े तीन फीट ( 3 1/2‘ ) की मुगलकिशोर एवं युगराज माथुर ने भेंट की। साथ ही में श्री राधाकृष्ण, माँ जगदम्बा, श्री गणेश, श्री हनुमान जी की प्रतिमायें भी स्थापित की गई चित्रगुप्त ज्ञान मन्दिर का निर्माण सन् 1965 में चित्रता को. औप. लि. सोसायटी के सदस्यों तथा अन्य मतदाताओं के सहयोग से बना है। नव निर्माण कमेटी द्वारा 22 मार्च, 2009 की सभा में प्रस्तावित हुआ वर्तमन भवन के ऊपर-विस्तार योजना बनाई गयी है। जिसका खर्च लगभग 51 लाख आंका गया है।
(4) चित्रगुप्त मंदिर, रामनगर (शास्त्रीनगर) जयपुर: चित्रगुप्त की प्रतिमा 100 वर्ष पुरानी है। मंदिर में 10 अन्य हिन्दुदेवी देवताओं की भी मुर्तियां है। मंदिर का नाम मनकामेश्वर चला आ रहा है। श्री एल. एन. पी. सी. सुरेन्द्र नारायण सक्सेना, दरीबापान निवासी वहां के मंदिर के अध्यक्ष थे ने वहां लाकर मूर्ति यहाँ स्थापित की।
(5) चित्रगुप्त मंदिर, मानसरोवर, जयपुर: मंदिर का निर्माण 9 दिसम्बर 2000 का हुआ तथा प्राण प्रतिष्ठा 9 अक्टुबर 2000 को अग्रवाल फार्म (मानसरोवर) कायस्थों के सहयोग से हुई। मंदिर का निर्माण वी.पी. भटनागर द्वारा शिवाजी पार्क सेक्टर-9, जोन नं. 93 में ब्राइवेज पब्लिक स्कूल के पास (विवेकानन्द मार्ग) कराया गया।
(6) चित्रगुप्त मंदिर भारतेन्द्रु नगर खातीपुर, जयपुर: 25 मार्च 2001 को स्थान भेंट किया। कायस्थ सभा, जयपुर पश्चिम के संरक्षक श्री देवरत्न भटनागर ने 3 फुट मुर्ति लगवायी। न्यायमूर्ति राजेनद्र प्रसाद सक्सेना ने अपनी धर्मपत्नी संध्या सक्सेना की स्मृति में 22 मार्च, 2002 महाशिवरात्री के दिन शिव दरबार की मूर्ति लगवाई।
(7) सिद्धि विनायक जी का मंदिर, जयपुर: गलता जी के पहले जयपुर में यह मंदिर है, जिसमें चार भुजाओं वाली काले संगमरमर की मूर्ति श्री चित्रगुप्त जी की गौड़ ब्राह्मणों द्वारा स्थापित हुई है। जो लगभग 70 वर्ष पुरानी है। गौड़ अपने को ब्राह्मण भले ही लिखते परन्तु ये भगवान चित्रगुप्त की ही संतति है। इन्होने चित्रगुप्त जी का मंदिर-कायस्थ मानते हुए ही बनवाया है। और पूजा करते आ रहे है।
(8) राधाकृष्ण मंदिर, प्रतापनगर, जयपुर: यह सेन्टर-8 जोन न. 85 में स्थित है। 19 अप्रैल, 2009 को चित्रगुप्त जी की 3 फीट ऊँची 2 हाथ वाली मूर्ति की स्थापना श्री लाड़ली शरण जी की अध्यक्षता में हुई यह भव्य प्रतिमा कायस्थ, प्रतापनगर सोसायटी, सांगानेर, जयपुर तथा जन-सहयोग से स्थापित की गई श्री राम व माता जानकी की मूर्ति भी प्रतिष्ठित हुई।
(9) चित्रगुप्त मंदिर, मुरलीपुरा स्कीम, जयपुर: मंदिर का निर्माण विक्रम सम्वत 2063 को हुआ। श्री एन.पी.सक्सेना द्वारा अपने पिता स्व. श्री नारायण प्रसाद की स्मृति में बनवाया गया। राजगढ़ (अलवर) के श्री अशोक कुमार सक्सेना ने अपने पिता स्व. बाबू की स्मृति में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा वि.स. 2063 माघ शुक्ल पक्ष 10 रविवार दिनांक 28 जनवरी, 2007 को करायी गई। मंदिर का निर्माण लगभग 46 कायस्थ परिवारों के सहयोग से बन कर प्राण प्रतिष्ठा हुई तब तक सबका सहयोग रहा।
(10) प्रभु भवन, अजमेर 5 कायस्थ मौहल्ले में उदावतों की पोल जुड़ा इन्द्रपोल है और उससे जुड़ा “प्रभु-भवन” है। यह भवन श्री प्रभुनारायण सुपुत्र श्री श्योनारायण उदावत ने मदार ईसाई संस्थान से क्रय कर श्री चित्रगुप्त जी महाराज का मंदिर आदि सन् 1939 में बनवाकर बिरादरी का समर्पित किया तथा साथ ही मंदिर की सेवा पूजा व खर्चे बाबत् पास ही एक मकान खरीद कर मंदिर को भेंट किया और प्रभु-भवन को रजिस्टर्ड करवाई, जो इनकी देखरेख करता है।
(11) शिव मंदिर, आदर्श नगर, अजमेर आदर्श सनातन धर्म सभा एवं विकास समिति, शिव मंदिर आदर्श नगर द्वारा सन् 1942 में स्थापित हुआ था। शिव मंदिर में प्रवेश होते ही लक्ष्मीनारायण ने मंदिर का निर्माण कराया। यह मंदिर अमर नारायण माथुर क्षरा 26 अप्रैल, 1994 में बना कर लक्ष्मीनारायण की मूर्ति 20 फरवरी, 1995 को मूर्ति की स्थापना व प्रतिष्ठा की गई। इसी मंदिर में श्री धर्मराज व श्री चित्रगुप्त जी की 2.5 फुट की मूर्तिया आमने-सामने स्थापित की गई। यह मंदिर अमर नारायण ने निवासी 83 आदर्श नगर अजमेर ने अपने पूज्य श्री माणकलाल, श्रीमती भनभल बाई, श्री मती महेश कुमारी श्री राजेन्द्र माथुर की स्मृति में स्थापित की गई है।
(12) चित्रगुप्त मंदिर, ब्यावर: ‘बीतडली तालाब की पाल पर मंदिर बना है। इसमें माँ दुर्गा व श्री गणेश की मूर्तिया भी स्थापित है। कायस्थ समाज के त्योहार, समारोह आदि इसी मंदिर में होते है।’
(13) चित्रगुप्त मंदिर, बाड़मेर: 1992 में श्री के. के. माथुर अध्यक्ष के समय दानदाता स्व. रुपराज, स. कृषि अधिकारी ने अपने पिताजी स्व. श्री पुखराज की स्मृति में 20 अगस्त 1992 को एक भ्ज्ञू-खण्ड 20‘ ग 60‘ भेंट किया, जिसमें मंदिर का रुप देकर जोगमाया व श्री चित्रगुप्त जी की मूर्ति की स्थापना नवरात्रि 1993, में की गयी। श्री मोहनचंद व श्री बंशीलाल के कर-कमलों द्वारा इस मंदिर के निर्माण में री शरतचन्द, अ.अ. जलदाय विभाग का योगदान रहा। लागत मंदिर दो लाख/ का.स. जोधपूर का योगदान 5000रुपये का भी रहा। उदघाटन श्री हरशचन्द्र उपनिवेशक जल संग्रह व भू-सर्वेक्षण द्वारा 10 अक्टूबर 1994 को हुआ। श्री गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित की गई।
(14) चित्रगुप्त मंदिर, बीकानेर: इस मंदिर को एक प्लॉट श्री हरशरण माथुर ने भेट किया। कई अर्से तक चित्र ही मंदिर में लगा था, उसी की पूजा होती थी। दवात पूजा सामूहिक होती है। श्री कमला सक्सेना द्वारा प्रदत मूर्ति की स्थापना 24 फरवरी 2008 को हुई । इस मंदिर में श्रीमती कमलेश बिसारिवा द्वारा श्री हनुमान जी, श्री एन.सी सक्सेना द्वारा श्री दुर्गा जी तथा श्री जगदीश सिन्हा द्वारा माँ सरस्वती जी की प्रतिमाए स्थापित की गयी है।
(15) श्री करणी माता जी का मन्दिर, बीकानेर: थरमल पावर स्टेशन की कॉलोनी में। श्री करणी माता जी के मंदिर लगभग 10 वर्ष पूर्व वहाँ कार्यरत कायस्थ बन्धुओं ने चतुर्भुजा श्री चित्रगुप्त जी महाराज की मूर्ति स्थापना की। पूजा बराबर हो रही है।
(16) चित्रगुप्त मंदिर, अलवर: 150 वर्ष पुराना मंदिर है। खड़ी मूर्ति 4.5 फीट की है। श्री गोविन्द बिहारी माथुर, राजस्व विभाग वालों की और स्थापित की गई। प्रथम पुजारी बोनी प्रसाद तत्पश्चात उनके पुत्र उपेन्द्र दत्र तथा वर्तमान मंे रामदŸा जी है। मंदिर का क्षेत्रफल 100 ग 40 वर्ग गज है। इस मंदिर में श्री राधाकृष्ण, दक्षिण श्री हनुमान जी तथा शिव-परिवर स्थापित है।
(17) चित्रगुप्त मंदिर, जालोर: मंदिर में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा बसंत पंचमी विक्रम सम्वत 2042 दिनांक 26 फरवरी, 1985 को हुई। मंदिर में श्री गणेश जी, माता अम्बा की प्रतिमायें भी स्थापित की गई। श्री रोशनलाल, मुख्य सहायक श्री के. एस. माथुर, स्व. री सज्जनलाल अ. अ. जलदाय विभाग, श्री ज्ञानचंद अ. अ. सा. नि. विभाग, तथा श्री महेष माथुर, अ. अ. खनिज विभाग का सहयोग उल्लेखनीय है।
(18) चित्रगुप्त मंदिर जोधपुर: कायस्थों के इस निजी मंदिर का निर्माण स्व. श्री अनोपराम पुत्र स्वत्र श्री खुशालीराम झामरिया द्वारा श्री जीवन माताजी कुलदेवी होने से समस्त पंचालियों के नाम पर राजा मानसिंह जी के समय विक्रम संवत 1866-73 के मध्य करवाया गया था। कोर्ट केस पुजारी जीत गया, अतः उसके भय से समाज के व्यक्ति न तो श्री जीवणमाला के दर्शन करने जाते हैं और न ही चित्रगुप्त जी के कायस्था समाज पुनः कोर्ट केस कर मंदिर भी कब्जे में लेने का प्रयास करना चाहिए।
(19) चित्रगुप्त मंदिर, उदयपुर: श्री चतरसिंह माथुर ने कायस्थ सभा के लिए एक भूखण्ड 122‘ ग 110‘ = 13340 वर्ग फीट नगर विकास प्रन्यास से आधी फीस 1,31,432 रु. में खरीद कर समाज को भेंट किया। निर्माण के लिए 10 रुपये की लाटरी निकालकर तीन लाख राशि एकत्रित की। मूर्ति खड़ी है।
(20) मन्दिर श्री चित्रगुप्त महाराज, उदयपुर: सेक्टर- 14, पानी की टंकी के नीचे, उदयपुर में स्थित है। इसमें भटनागर सभा तथा भटनागर सभा सामुदायिक भवन हैं। यह संगठन 1968 से सक्रिय है। प्रोफेसर श्री उमराव सिंहभटनागर ने मार्गदर्शन का दायित्व वहन किया। 20 दिसम्बर 1947 को भटनागर सभा का संविधान आम सभा द्वारा पारित किया गया। श्री मंगल सिंह वक्षी के मार्गदर्शन में 1988 से भटनागर सभा, उदयपुर के सूचना पत्र का नियमित प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। गणेश घाटी स्थित पुरखों की धरोहर 200 – 250 वर्ष पुरानी मोहरे बचे कर सेक्टर-14 में 15,000 वर्गफीट भूमि का आवंटन करा कर 25 जनवरी 2004 को भूमि पूजन व गायत्री हवन करा कर मुख्य अतिथि – श्रीमती नालिनी देवी पंचोली की उपस्थिति में 5 शिलांए नीवं से अर्पित की 13 जनवरी, 2005 को तथा डॉ. श्रीमती कुसुम पंचोली द्वारा सामुदायिक भवन शिलान्यास कार्यक्रम किया गया। मंदिर के गर्भगट मंे आराध्यदेव श्री चित्रगुप्त जी महाराज माँ भगवती तथा श्री गणपति गणेश की मनमोहक प्रतिमाओं की स्थापना तथा प्राण-प्रतिष्ठा 24-25 फरवरी, 2008 को की गयी। मंदिर दर्शन समय उत्थपन एवं दर्शन प्रातः 5.15 से 11.45 तक तथा सायं 4.30 से 9.30 तक। आरती समय (1 अप्रैल -30 सितम्बर) प्रातः 7.15 बजे, सायं 7.30 बजे तथा शीतकाल (13 अक्टूबर- 31 मार्च ) प्रातः 7.15 बजे, सायं 6.30 बजे। अभिषेक प्रत्येक पूर्णिमा को प्रातः तथा महाआरती प्रत्येक रविवार, सायं तक।
उपर्युक्त मंदिरों के अतिरिक्त राजस्थान में श्री चित्रगुप्त मंदिर निम्नांकित स्थानों पर है-
(21) चौक श्री मुट्नलाल अजमेर (22) पुष्कर तीर्थ, अजमेर, (23) नागोर (24) निरंजन भजनाश्रम, छावनी, कोटा (25) बूंदी (26) बीजावर (27) चित्तौड़गढ़ (28) भीलवाड़ा (29) भरतपुर (30) झालावाड़ (31) गुलाबपुरा (32) खण्डवा (33) धौलपुर (34) कुचामन