हैदराबादी कायस्थ

‘’हैदराबादी संस्कृति देश भर में प्रसिद्ध है। प्रमुख जाति होने के नाते कायस्थों का इसमें विशेष योगदान रहा। मुगल काल में अनेकों कायस्थ आसफजाही शासकों के साथ आकर यहा बस गये। आज भी यहा की धरती पर कायस्थों की अमिट छाप है। कायस्थ अपनी लेखनी प्रतिभा के कारण सदैव मान्य रहे तथा केन्द्र व राज्य सरकारों में उच्च पदों पर आसीन रहे। निजाम काल में उनको जागीर, मखता, मनसब और योमिया के खिताब मिले। सरफ-ए-खास में कायस्थों को प्रमुख पद मिले। राजा धरम करण तो निजाम के मंत्री थे।

हैदराबाद में कायस्थों ने बड़ी संख्या में सरकारी सेवाओं के अतिरिक्त डाक्टरी, इंजीनियरी, वकालत तथा अन्य पेशे अपना लिए कुछ तो व्यवसाय तथा औधोगिक क्षेत्र में उतर चुके हैं। किन्तु हैदराबाद की राजनीति में कायस्थो का योगदान विशेष उल्लेखनीय नहीं रहा। निजाम सप्तम के समय में पं0 नरेन्द्र जी सक्सेना कायस्थ स्वतंत्रता प्राप्ति के लक्ष्य से तत्कालीन सरकार एवं रजाकारों के विरुद्ध संघर्ष हेतु प्रथम पंक्ति में रहे। वे सुप्रसिद्ध आर्यसमाजी थे। निजाम शासन से छुटकारा दिलाकर हैदराबाद में स्वतंत्र भारत का दर्शन कराने में उनका त्याग सदैव स्मरणीय रहेगा। कम्यूनिस्ट पार्टी के झंडे तले डा0 राज बहादुर गौड़ प्रकाश में आये और मजदूर वर्ग एवं दलितों की सेवा में समर्पित हो गये। हैदराबाद म्युन्सिपल कारपोरेशन के सदस्य द्वारका प्रसाद निगम चार मीनार क्षेत्र से जानी मानी हस्ती थे। शिव प्रसाद श्रीवास्तव हैदराबाद नगर महाराजगंज क्षेत्र से विधान सभा सदस्य निवार्चित हुये। मनोहर लाल सक्सेना एक प्रमुख वकील होने के साथ ही म्युन्सिपल काउन्सिलर भी थे। वे अपने सामाजिक कार्यों के लिये बहुचर्चित हुये। वर्तमान में वह आन्ध्र प्रदेश कायस्थ सभा के कानूनी सलाहाकार हैं। राजनीति में कायस्थ समाज की एकमात्र महिला शान्ता श्रीवास्तव तेलगू देशम पार्टी के लिये कार्यरत हैं।

अधिवक्ताओं की श्रेणी में सतगुर प्रसाद सक्सेना, शीतल प्रसाद श्रीवास्तव, काली चरण अस्थाना, मनोहर प्रसाद माथुर, गुरुनाथ प्रसाद सक्सेना, योगेन्द्र नाथ निगम, राजेन्द्र प्रसाद भटनागर स्वत: ही स्मरण हो जाते हैं। नागेश्वरी प्रसाद भटनागर, गणेश प्रसाद भटनागर जसवन्त राज अस्थाना और रमर राज सक्सेना ने मजिस्ट्रेट तथा जज के पद को सुशोभित किया।

प्रमुखत: साहित्यक प्रवृत्ति का होने के कारण कायस्थों ने अनेकों प्रमुख लेखकों तथा कवियों को जन्म दिया। राजा गिरधारी प्रसाद सक्सेना उफ बन्सी राजा, जिनका साहित्यक नाम ‘बांखी’ एक सुप्रसिद्व कवि थे। वह अपने महल बंसी राजा की डयोढ़ी में समय समय पर मुशायरे का आयोजन करते जिसमें निजाम राज्य के प्रधानमंत्री महाराजा सर किशन प्रसाद भी समिमलित होते और कविता पाठ करते थे। बहुत से कायस्थों ने चिकित्सा के क्षेत्र में न केवल भारत वरन विदेशों में भी ख्याति अर्जित की। आन्ध्र प्रदेश कायस्थ सभा के भूतपूर्व अध्यक्ष एक जाने माने शिशु रोग विशेषज्ञ डा0 हरीश चन्द्र माथुर विश्व स्वास्थय संगठन में काम करते हुये विश्व भर में प्रशंसा के पात्र बने।

हैदराबाद के सु प्रसिद्ध प्राचीन घरानों यथा मालवाला भवन, बन्सी राजा की डयोढ़ी और फतेह मंजिल ने अपने प्रयत्नों द्वारा हैदराबादी संस्कृति का परितोषण किया। महाराज करन और राम करन ने व्यक्तिगत योगदान द्वारा माथुर कायस्थों का मस्तक ऊचा रखा।

यदि सरकारी सेवा और प्रबन्ध तंत्र की ओर दर्ष्टिपात करें तो यहां भी कायस्थों का बहुत बड़ा योगदान दिखार्इ देगा। राय पृथ्वी राज सक्सेना (कृषि विभाग निर्देशक) धरम राज माथुर (म्युन्सिपल कमिश्नर) आनन्द कुमार माथुर (चीफ कन्जरवेटर आफ फारेस्ट) र्इश्वर राज माथुर (प्रमुख निर्देशक, सूचना विभाग, महाराष्ट्र), राम रज सक्सेना, पुष्प कुमार माथुर ( प्रिंसिपल चीफ कन्जरवेटर आफ फारेस्ट) और प्रताप बहादुर (चीफ कन्जरवेटर आफ फारेस्ट) प्रमुख पदों पर आसीन रहे।

यह कहना भी समयोचित होगा कि हैदराबाद नगर के उपगुण्डा क्षेत्र में कण्डीकल द्वार के निकट एक चित्रगुप्त मंदिर है। इसका निर्माण एक श्रीवास्तव कायस्थ द्वारा कराया गया और प्रबन्धन एक अकायस्थ समिति कर रही है। अब समय है कि आन्ध्र प्रदेश कायस्थ सभा इसका प्रबन्ध अपने हाथों में लेने हेतु प्रयत्नशील हो। एक कायस्थ द्वारा निर्मित और प्रबंधित दूसरा मंदिर श्री एकनाथ महाराज का है। यह हैदराबाद नगर के चन्द्रयंगुहा में सिथत है। श्री तीर्थराज सक्सेना इस मंदिर के पैतृक ट्रस्टी हैं। इसका निर्माण महाराष्ट्रीय सन्त की स्मृति में हुआ।

‘सोशियल हिस्ट्री आफ ए इंडियन कास्ट-सब-कास्ट कायस्थ’ पर थीसिस लिखकर करेन ल्योनर्इ नामक अमरीकी महिला ने कैलीफोर्निया विश्वविधालय (अमरीका) से डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। यह हैदराबादी कायस्थों पर उनके द्वारा किये शोध पर आधारित थी। इसके लिये उसने बीसियों हैदराबादी कायस्थों से साक्षात्कार किया। इस शोघ पर आधारित उसकी पुस्तक सन 1978 में प्रकाशित हुर्इ तथा इसके मुखपृष्ट पर राजा गिरधारी प्रसाद सक्सेना उर्फ बन्सी राजा चित्र हैं।

इसी प्रकार कायस्थों ने सभी क्षेत्रों में प्रमुखता प्राप्त की तथा अपनी जिम्मेदारियों का पूरी तरह से निर्वाह किया। उन्होंने न केवल हैदराबाद नगर के निर्माण में विशेष योगदान किया वरन हैदराबादी संस्कृति और समाज में अपनी अमिट छाप भी छोड़ी है। आशा है कि कायस्थों की भावी पीढ़ी पूर्वजों से प्राप्त सांस्कृतिक मूल्यों को नष्ट नहीं होने देगी, तथा इनमें सुधार करते हुये हैदराबादी संस्कृति में कायस्थों के स्वरुप को बढ़ावा देगी।