भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज के देवालय

भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज स्वयं परमेश्वर है।

वे ब्रह्म के पुत्र नहीं, अपितु उनके ईश्वर हैं उनमें यापक हैं। देव, दानव, आदित्य, दैत्य, नाग, राक्षस, सुर, असुर , यक्ष, किन्नर, ब्रह्म विष्णु, महेश, नृवंश, मानव, सूर्यवंशी तथा चन्द्रवंशी सभी उनके न्याय क्षेत्र में आते है। चौदह यमों में एक है। केतू भी अधिदेवता हैं। समस्त प्राणियों के पाप-पुण्य कर्मों का लेखा जोखा रख कर सही न्याय कर पुण्यात्माओं को स्वर्ग और पापात्माओं को नरक दण्ड प्रदान करते है। ऐसे भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज जो कायस्थ बन्धुओं के आदि पिता है, उनके देवालयों (मंदिरों) की कमी नहीं है।