Education Initiatives

Kayasth Charitable Trust: Building Bridges to Education for a Brighter Tomorrow
Education is the bedrock upon which a thriving future is built. At the Kayasth Charitable Trust, this belief forms the cornerstone of our mission. We firmly stand by the principle that every child, regardless of background or circumstance, deserves access to quality education.

Nutrition Blog

Kayasth Charitable Trust: Nourishing Minds and Bodies for a Brighter Tomorrow
Good nutrition isn’t a luxury, it’s the foundation for a healthy and fulfilling life. It fuels physical growth, cognitive development, and overall well-being. Yet, millions of individuals and families around the world struggle to access nutritious food, facing the devastating consequences of malnutrition.

Healthcare Blog

Kayasth Charitable Trust: Building a Bridge to Better Health for All
Access to quality healthcare is not a privilege, it’s a fundamental human right. Yet, millions around the world lack basic medical services, hindering their well-being and limiting their potential. At the Kayasth Charitable Trust, we are dedicated to bridging this gap and ensuring everyone has the opportunity to live a healthy life.

भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज के देवालय

भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज स्वयं परमेश्वर है। वे ब्रह्म के पुत्र नहीं, अपितु उनके ईश्वर हैं उनमें यापक हैं। देव, दानव, आदित्य, दैत्य, नाग, राक्षस, सुर, असुर , यक्ष, किन्नर, ब्रह्म विष्णु, महेश, नृवंश, मानव, सूर्यवंशी तथा चन्द्रवंशी सभी उनके न्याय क्षेत्र में आते है। चौदह यमों में एक है। केतू भी अधिदेवता हैं। समस्त […]

कायस्थों के चार-धाम

यू तो भारतवर्ष में भगवान चित्रगुप्त जी के अनेक मंदिर हैं, परन्तु इनमें से पौराणिक एवं एतिहासिक महत्व के प्रथम चार मंदिर, कायस्थों के चार धामों के समतुल्य महत्व रखते हैं। ये महत्वपूर्ण और प्रसिद्व तो हैं ही, प्रश्न है हमारी आस्था और विश्वास का। ये मंदिर निम्न हैं :- मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले […]

वेद में चित्रांश प्रमाण

संसार के अति प्राचीन ग्रन्थ वेदों में चित्र का वर्णन, इन्द्र, मित्रवरुण अगिन, मारूत सोम जैसे देवतुल्य रूप में आया है, जिसकी पुषिट डा0 रांगेय राघव की ‘प्राचीन भारतीय परम्परा एवं इतिहास’ नामक पुस्तक में भी की गर्इ है। महर्षि दयानन्द सरस्वती ने भी वेद में वर्णित चित्र का अर्थ अत्यन्त ऐश्वर्यवान दान आदि गुणों […]

कायस्थ : एक पुरातातिवक विवेचन

‘कायस्थ’ शब्द आज एक ऐसा शब्द है जो चित्रगुप्त की विभिन्न सन्तानों से उदभूत हुये महापरिवार का धोतक है। आज भारतीय समाज में ‘कायस्थ’ एक ऐसी जाति है जो वैदिक वर्ण-व्यवस्था के लगभग बाहर समझी जाती है और कायस्थ लोगों को ब्राह्राण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र नामक वर्णो में प्राय: अनितम वर्ण में समिमलित समझा […]

कायस्थ जाति ही जीवन पद्दति

‘हम कौन थे, क्या हो गये हैं और क्या होंगे अभी। आओ, विचारें आज मिलकर ये समस्यायें सभी।। समाज, सभ्यता और संस्कृति सतत प्रवाहित सलिला है। प्रतिपल अनवरत परिवर्तन ही सृष्टि की जीवन शकित है। व्यषिट से समषिट, बिन्दु से सिन्धु, आत्म से परमात्म की यात्रा ही लौकिक और अलौकिक के मध्य संबंध सेतु हैं। […]

प्राचीन धर्म ग्रन्थों में कायस्थ

चित्रगुप्त वंशियों की उत्पतित पुराणों के वचन -(क) यम संहिता धर्मराज ने जिन्हें पापियों को दण्ड देने का अधिकार मिला है, श्री ब्रह्राा जी की सेवा में जाकर निवेदन किया है कि ऐसा भारी काम मुझसे नहीं चल सकता। ब्रह्राा जी ने कहा- ‘अच्छा, मैं तुम्हारी सहायता करुगा’ धर्मराज को विदा करके ब्रह्राा जी ध्यान […]

कायस्थों की उत्पति : मिथक बनाम इतिहास

कायस्थों की उत्पतित और हिन्दू समाज में उनके स्थान के विषय में 1884 र्इ0 में अपना निर्णय देते हुए कलकत्ता के उच्च न्यायालय ने उन्हें शूद्र वर्ग में देखा। इससे क्षुब्द होकर उत्तर प्रदेश के कायस्थों ने इलाहाबाद हार्इ कोर्ट में यह तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश और बिहार के कायस्थों की उत्पतित भिन्न है। […]

प्राचीन भारतीय अभिलेखों में कायस्थ

प्राचीन भारतीय इतिहास की मूल्यवान एवं आधार सामगि्रयों में उत्कीर्ण लेखों का अत्यधिक महत्व है। उनके अनुशीलन से भारत के पुरातन, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकल्पों पर महत्वपूर्ण प्रकाश पड़ता है। भारतीय समाज का विभाजन आरमिभक अवस्था में वर्ण के आधार पर था। प्राचीन भारतीय अभिलेखों में शासन अथवा दान के प्रसंग में दाता […]

ग्रन्थों में कायस्थ

कायस्थों का वर्णन धार्मिक और धर्म निरपेक्ष दोनों प्रकार के ग्रन्थों में मिलता है। इनमें कुछ इस प्रकार है :- हिन्दुओं के प्राचीनतम ग्रन्थ ‘ऋग्वेद’ के अनुसार कायस्थों के पूर्व पुरुष श्री चित्रगुप्त एक शकितशाली क्षत्रिय थे। वह राजा कहलाते हैं। ‘कृष्ण यजुर्वेद’ की ‘मैत्रायनी संहिता’ में उनको एक आश्चर्य जनक शासक के रुप में […]

कायस्थ जाति का वर्ण क्षत्रिय है

वर्ण व्यवस्था के अनुसार हिन्दुओं को ब्राह्राण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र चार वर्णों में विभाजित किया गया है। कायस्थ जाति, जो कि वास्तव में क्षत्रिय वर्ण में आती है, पर उस समय प्रश्न चिन्ह लग गया जब कलकत्ता हार्इ कोर्ट ने एक मुकदमे में श्री श्यामाचरण सरकार द्वारा लिखित पुस्तक ‘व्यवस्था दर्पण’ के आधार पर […]

कायस्थ – कौन ?

‘अब आवश्यकता इस बात की है कि कायस्थ बारह नहीं, बलिक कायस्थ केवल कायस्थ है, उसे इस मत का होना पड़ेगा। सभी कायस्थों में समान रुप से विवाह आदि सम्बन्ध स्थापित किये जाने चाहिए, न कोर्इ ऊचा है न कोर्इ नीचा है।’ कायस्थ शब्द का परिचय कायस्थ शब्द सर्व प्रथम पुराणों में धर्मराज अथवा यमराज […]

भगवान चित्रगुप्त का श्याम वर्ण

भारतीय देव भावना प्राचीन है। ऋग्वेद के अगिन सूक्त से लेकर इन्द्र एवं विष्णु की प्रतिष्ठा की लम्बी यात्रा विद्वानों के शोघ का विषय रही है। अपने देवी देवताओं के रुप, आकार, वर्णादि के विचार एवं प्रतिष्ठा के निर्मित्त भारतीय मनीषा ने वैज्ञानिक और दार्शनिक रुपों में गहन मन्थन किया है। भगवान शिव का हिमधवल […]

श्री चित्रगुप्त वैदिक दृष्टि में

प्रार्थनात्मक मन्त्र चारों वेदों में आया है। गायत्री मंत्र वैदिक वाडमय में अति प्रसिद्व है। किन्तु वह तीन वेदों में ही वर्णित है, जबकि ‘चित्रम देवानम’ मन्त्र सभी वेदों में प्रतिपादित हैं। इस सिथत से इस मन्त्र की महानता का परिचय प्रथम दृषिट में ही हो जाता है। आर्य समाजी लोग नित्य सायं-प्रात: सन्ध्या करते […]

हैदराबादी कायस्थ

‘’हैदराबादी संस्कृति देश भर में प्रसिद्ध है। प्रमुख जाति होने के नाते कायस्थों का इसमें विशेष योगदान रहा। मुगल काल में अनेकों कायस्थ आसफजाही शासकों के साथ आकर यहा बस गये। आज भी यहा की धरती पर कायस्थों की अमिट छाप है। कायस्थ अपनी लेखनी प्रतिभा के कारण सदैव मान्य रहे तथा केन्द्र व राज्य […]

मद्रासी कायस्थ

‘’Cited in the History of Kayastha Pages 126 to 128 by Shri Gopi Nath Saxena, Bareilly. मद्रास में भी एक वर्ग चित्रगुप्त वंश का है जैसा कि निम्नलिखित ग्रन्थों में दिया है – ”गरुण पुराण” ”आदित्य पुराणम” अध्याय 5, ”धनाकर स्मृति”। ‘Havya Kavya Vithigal’ by Mr. S. M. Manikka Pillai ‘Sree Karuneega Puranam’ by Mr. […]

महाराष्ट्र प्रदेश के चन्द्रसेनी कायस्थ प्रभु

‘’ चन्द्रसेन कायस्थ प्रभु का इतिहास बड़े महत्व का एवं रहस्य जनक है। ‘शब्द कल्प-द्रुम’ के छठे खंड के दूसरे कांड में कथन है, जिसके लेखक सर राजा राधा कान्त देव बहादुर, शोभा बाजार राजा (कलकत्ता) है – चित्रगुप्त वंशे कायस्थोपाधि धारिणा। सर्वे ते क्षत्रिया लोके मताश्च सुनिभि: सदा।। सूर्यवंश्या तथा भूपा: सोमवंश्या भुवि। क्षमवर्णेस्थि: […]

बंगाली कायस्थ समाज

‘’ शास्त्रों की यह बात है कि भगवान चित्रगुप्त जी के 12 पुत्रों में से एक सुचारु नाम के गौड़-बंगाल देश में आकर बसे और उनके वंशज गौड़ ब्राह्राण कायस्थ कहलाये। इसीलिए प0 श्यामाचरण सरकार विधाभूषण ने जो गत शताब्दी के एक प्रसिद्ध ब्राह्राण पंडित थे, हिन्दू कानून पर अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘व्यवस्था दर्पण’ तीसरा […]

बिहारी कायस्थ और उनका योगदान

‘’ कायस्थों की उत्पत्ति के विषय में अनेकों लेख प्रकाशित हो चुके हैं तथा पौराणिक व ऐतिहासिक दोनों ही द्रष्टियों से वे उच्च वर्ग के अन्तर्गत माने गये हैं। देश के अन्य भू-भागों की भांति बिहार में भी इनका इतिहास काफी पुराना है। याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार वे र्इसापूर्व तीसरी शताब्दी में ही अपना विशिष्ट […]

दक्षिण के करनीगर कायस्थ

‘’ दक्षिण के लगभग 5 लाख करनीगर कायस्थ अधिकतर ग्राम करनम्स में अध्यापक की भाति नौकरी कर रहे हैं और कांचीपुरम के चारों ओर मद्रास नगर से 45 मील दूर 4-5 जनपदों में फैले हैं। वहां भगवान चित्रगुप्त जो केवल समस्त करनीगरों के ही नहीं बल्कि समस्त कायस्थों के प्रमुख देवता हैं। परम्परानुसार करन की […]

प्राचीन कामरुप कायस्थ समाज

‘’ हमारे देश का पूर्वोत्तर प्रान्त आसाम प्राचीन काल में महाभारत में प्राग ज्योतिष तथा पुराणों में कामरुप के नाम से विख्यात रहा है। इसका विस्तार दक्षिण में बंगाल की खाड़ी और गोहाटी के निकट कामाख्या देवी का मंदिर इसका केन्द्र रहा है। श्री नगेन्द्र नाथ बसु द्वारा लिखित ‘सोशल हिस्ट्री ऑफ कामरुप’ के अनुसार […]

उड़ीसा में कर्ण कायस्थ

‘’ उड़ीसा के कायस्थ परिवारों को कर्ण परिवार कहा जाता है। अब तक उड़ीसा के कायस्थों पर ऐसी कोर्इ पुस्तक नहीं लिखी गर्इ जिससे यह पता चल सके कि इन्हें केवल ‘कर्ण’ के नाम से ही क्यों जाना जाता है। उड़ीसा के कर्ण समाज की निम्नलिखित पदवियाँ\उपाधियाँ हैं – पटनायक, महान्ति, कानूनगो, दास आदि। महान्ति, […]

हिन्डौन के कायस्थ

‘’ राजस्थान में हिन्डौन नामक स्थान है जहाँ कभी इन्डवन नामक वन था। इस हिन्डौन को एक कायस्थ ने आबाद किया था। हिन्डौन के कायस्थ गाँव करसोली (जो हिन्डौन से करीब 4 मील की दूरी पर है) के बिस्वेदार थे। ऐसी किवदंती है कि करसोली में एक झगड़ा हुआ जिसमें करसोली के तमाम कायस्थ मारे […]

श्री चित्रगुप्त जी की कथा

पितामह भीष्म से युधिष्ठर जी बोले आपकी कृपा से मैंने धर्मशास्त्र सुने। ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य और विशेषकर शूद्रों के सब धर्म आपने कहे। तीर्थ यात्रा विधि कही तथा मास नक्षत्र, तिथि वारों के जो व्रत आपने कहे उनमें यम दिव्तीया का क्या पुण्य है? और यह व्रत किस समय कैसे हो, यह मैं आपसे सुनना […]

उठ चित्रांश उठ

उठ चित्रांश उठ मैं बोल रहा हू चित्रगुप्त हाँ चित्रगुप्त अपने ही खानदान बीच हो चुका हूँ लुप्त। हमारे जमाने में हमें ब्रहमा ने बताया था जिसके जितने ज्यादा बेटे होंगे वो उतना ही बड़ा इन्सान होगा सुख सम्पन्न होगा, धनवान होगा। पढ़ा-लिखा ज्ञान-वान होगा। यही सोचकर, सही सच मानकर चित्रगुप्त के हुये बारह बेटे […]

संस्कृतियों के समन्वयकर्ता देव चित्रगुप्त

-संजीव वर्मा ‘सलिल’   भारत वर्ष की सभ्यता और संस्कृति अनेकता में एकता का अनूठा उदाहरण है। नियति, पर्यावरण और प्रकृति के सानिध्य में मानव ने प्राकृतिक ऋतुचक्र, मौसम एवं वातावरण को नियंत्रित करने वाले प्रभावी तत्वों को अपने इष्ट, सहायक या मार्गदर्शक के रुप में स्वीकार व अंगीकार किया। मानवीय नियंत्रण से परे महाशक्तियों […]

भगवान चित्रगुप्त का प्रादुर्भाव

-चित्रांश श्यामलाल श्रीवास्तव   पुराणों के आधार पर हमने ऐसा माना है कि प्रत्येक युग के अंत में एक-एक अवतार ऐसे समय में होता है जब संसार का और विषेष रुप से देवताओं का कार्य सुचारु रुप से नहीं चलता और उनके कार्य में लगातार विध्न बाधायें पड़ने लगती हैं तथा उनको कोर्इ भी मार्ग […]

श्री चित्रगुप्त भगवान का परिवार

भगवान चित्रगुप्त पृथ्वी के सभी धर्मो का लेखा–जोखा रखने वाले के रुप में जाने जाते हैं। उत्तर भारत की मान्यताओं के आधार पर भगवान चित्रगुप्त जी की दो पत्निया माँ एरावति उर्फ शोभावति तथा माता जग नंदिनीउर्फ सुदक्षिणा थीं। दोनों पत्नियों से बारह पुत्र – 1.श्रीवास्तव 2.सक्सेना 3.माथुर 4.कुलश्रेष्ठ 5.भटनागर 6.निगम 7.अम्बष्ट 8.सूरध्वज 9.कर्ण 10.गौड़ […]

श्री चित्रगुप्त चालीसा

मंगलम मंगल करन, सुन्दर बदन विशाल। सोहे कर में लेखनी, जय जय दीन दयाल।। सत्य न्याय अरु प्रेम के, प्रथम पूज्य जगपाल। हाथ जोड़ विनती करु, वरद हस्त धरु भाल।। चित्रगुप्त बल बुद्धि उजागर, त्रिकालज्ञ विधा के सागर। शोभा दक्षिण पति जग वनिदत, हसमुख प्रिय सब देव अनन्दित।। शान्त मधुर तनु सुन्दर रुपा, देत न्याय […]

चित्रगुप्तजी अवकाश पर

जन्म-मृत्यु, पाप-पुण्य का लेखाजोखा के विभागाध्यक्ष ने लम्बे अवकाश पर जाने के लिए आवेदन पत्र ब्रहमाजी को प्रेषित किया। ब्रहमाजी ने उस पर टीप दी तत्काल चर्चा करें। उपस्थित होने पर ब्रहमाजी ने पूछा – यह क्या है ? आप लम्बी छुटटी पर क्यों जाना चाहते हैं ? चित्रगुप्तजी – महाराज मेरे 12 पुत्र हैं […]

भगवान चित्रगुप्त जी की आरती

ॐ जय चित्रगुप्त हरे – स्वामी जय चित्रगुप्त हरे। भक्त जनों के इच्छित फल को,पल में पूर्ण करे। ॐ जय चित्रगुप्त हरे … विध्न विनाशक मंगल कर्ता, सन्तन सुखदार्इ भगतन के प्रति पालक, त्रिभुवन यश छार्इ।ॐ जय चित्रगुप्त हरे … रुप चतुर्भुज. श्यामल मूरत, पीताम्बर राजे मातु इरावती – दक्षिणा, वाम अंग साजे।ॐ जय चित्रगुप्त […]